ईमानदारी

बाहर की दुनिया में
लहरा दिया पताका
निर्विरोध
अपनी ईमानदारी का !
बेदख़ल कर दिया अपनों ने
रिश्तों से,
घरों औ' देहरियों से
पलक झपकते ,
गुमां हो चला था उन्हें
मेरी शरारत
बेनक़ाब कर देगी उन्हें!

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